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निराशा से बचने के लिए - खुल कर हँसिये-मुस्कुराइये।
निराशा से बचने के लिए - खुल कर हँसिये-मुस्कुराइये। आत्महत्या का कारण चाहे जो भी हो - यह सौ प्रतिशत सच है कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति जीवन से निराश रहता है। अपना जीवन उसे स्वयं पर भी बोझ लगता है। वह हँसना और मुस्कुराना भी अक्सर भूल जाता है। जब वह हँसता है तो लगता है उसे जबरदस्ती मुस्कुराना या हँसना पड़ रहा है। हमारा जीवन बहुत ही मनोरंजक है - इसमें खुशी-ग़म, सुख-दुःख, तथा अच्छे-बुरे लोग किसी बेहद दिलचस्प फिल्म से भी ज्यादा सच्चे और सटीक होते हैं। तो फिर क्यों नहीं हम ज़िन्दगी का पूरा मज़ा नहीं लूट पाते। अक्सर जुए में अपनी सारी दौलत और परिवार भी हार चुके जुआरी की तरह हिम्मत हार जाते हैं। एक कारण यह भी है कि हम हँसना-मुस्कुराना भूल जाते हैं। हँसते -मुस्कुराते भी हैं तो दिल की गहराइयों से नहीं। ऊपर-ऊपर से। लोगों से अपना गम या अपने दिल की हालत छिपाने के लिए। यह तो बिलकुल भी ठीक नहीं। निराशा से बचने के लिए - खुल कर हँसिये-मुस्कुराइये। कैसी भी परिस्थिति है। हमें रोज सुबह-शाम आधा-आधा घण्टा दिल खोलकर हँसना-मुस्कुराना चाहिए। अपने घर के लोगों के बीच - अपनों के बीच हँसना -मुस्कुराना चाहिए। अपनों का मतलब है - वे लोग - जिनके साथ आप एक ही घर में - एक ही छत के नीचे - एक साथ रहते - खाते-पीते-सोते रहे हैं। अपने दोस्तों या बॉयफ्रेंड अथवा गर्लफ्रेंड को लोग घर-परिवार के लोगों से अधिक अपना मानने लगते हैं। यह ठीक नहीं है। आप जब बीमार होते हैं तो आपके लिए आपके बॉय फ्रेंड/ गर्लफ्रेंड /दोस्त उतने दुखी नहीं होते, जितना वे सब होते हैं, जिनके साथ आप रहते हैं। सालों से रहते आये हैं। बेशक आपकी बीमारी के समय आपके उनसे मतभेद चल रहे हों। आप उन्हें अपना मत समझिये -जिन के साथ आप कुछ अरसे से Living Relationship में रहने लगे हैं। जिनके साथ आप कुछ समय से रह रहे हैं - वे मतभेद होने पर या आपसे बेहतर कोई पार्टनर मिलने पर आपको छोड़ भी सकते हैं, जबकि जिनके साथ आपका बचपन जुड़ा होता है - वह आपसे मतभेद होने पर भी - आपसे अलग रहने पर भी - आपके लिए दुखी होने से खुद को रोक नहीं पाते। अलग होने पर भी - मतभेद होने पर भी उन सभी के साथ उठना-बैठना, हँसना-मुस्कुराना आपको कभी निराशा की खाई में गिरने नहीं देगा। इसलिए ध्यान रहे -जीवन में हँसना और मुस्कुराना बहुत जरूरी है । मुस्कुराना और हँसना दोनों ही बहुत जरूरी हैं - आप सबकी जिन्दगी के लिए, लेकिन आपको यह लेख सिर्फ पढ़ना ही नहीं है - शुरू से अन्त तक पढ़ना है और पढ़ने के बाद यह प्रण भी करना है कि अपनी हँसी और मुस्कान को आप सब अपने माता-पिता, भाई-बहन, बेटे-बेटियों, पति अथवा पत्नी एवं सास-ससुर और अपने और अपने लाइफ पार्टनर के परिवार के साथ सबसे पहले बाँटेंगे ! तभी आपकी हँसी और मुस्कान आपको दुनिया का सबसे सुखी व्यक्ति बना पाएंगी ! यदि आपको अच्छी तरह हँसना और मुस्कुराना आता है और मुसीबतों में भी आप रिलैक्स रह कर हँसते-मुस्कुराते रह सकते हैं तो यकीन मानिए - ब्लड प्रेशर तथा दिल की बीमारियों से काफी हद तक अपने आपको बचाये रख सकते हैं ! मुस्कान नीरस जिंदगी में भी रस घोल देती है । अधिकांश उदास चेहरे आकर्षणहीन दिखते हैं, जबकि कुरूप से कुरूप चेहरे पर भी मुस्कान एक अदभुत आकर्षण उत्पन्न कर देती है । मुस्कान परिवार के सदस्यों में प्यार बढ़ाती है । मुस्कुराओगे नहीं तो प्रभु को भी नहीं पाओगे। आजकल देखा गया है, लोग घर से निकलते हुए भी अक्सर चिडचिडाते हैं और जब घर से लौटते हैं तो भी चेहरे पर गंभीरता अथवा खीझ छाई रहती है । यह तो ठीक नहीं है - घर से निकलने पर रास्ते में अपने धंधे-पानी, नौकरी-पेशा तक जाते-जाते जितने लोग मिलते हैं सबको देखकर मुस्कुराते हैं और घर आते ही एकदम सीरियस हो जाते हैं। घर से निकलो मुस्कुराते हुए ! चेहरे पे हँसी हो घर आते हुए ! घर में एक-दूसरे सदस्यों को देखकर कोई नहीं मुस्कुराता। हम घर में आपस में झगड़ते हैं और दूसरों को देखकर मुस्कुराते हैं। इसलिए ध्यान दें - सिर्फ मुस्कुराना आना ही जरूरी नहीं है, अपने घर में - अपने लोगों के बीच - यदि आप नहीं मुस्कुराते तो प्रभु को कैसे अपना बनायेंगे। फिर प्रभु भी भला आपके अपने कैसे बनेंगे ? अपनों के बीच - जो हँसना मुस्कुराना नहीं जानते, प्रभु कभी उनके अपने नहीं हो सकते ! प्रभु को अपना बनाना है , उससे कुछ मनचाहा पाना है तो अपनों के बीच मुस्कुराइये और ऐसा प्रयास कीजिये कि आपके अपने भी आपसे मिलकर खुश हों और सच्चे दिल से मुस्कुराएँ। प्रभु आप की कोई भी इच्छा तभी पूरी करेंगे, जब आप अपने माता-पिता, भाई-बहन, सास-ससुर तथा अन्य अपनों को खुशी देंगे । उनके साथ हँस कर, मुस्करा कर बात करेंगे। आपमें से बहुत से ऐसे लोग होंगे, जो पूजा-पाठ में विश्वास रखते हैं । भगवान् से सुख समृद्धि की कामना करते हैं। भगवान् तो आपको तभी कुछ देंगे ना - जब वह आपके अपने हों । अपने ही अपनों को कुछ दे सकते हैं। पर आप अगर अपनों से मीठी बोली नहीं बोल सकते - उनके साथ बैठ कर मुस्करा नहीं सकते तो भगवान् आपके अपने कैसे बनेंगे । आपकी सारी पूजा अर्चना बेकार सिद्ध होगी। प्रभु आपको मनचाही वस्तु नहीं देंगे । आपकी कोई इच्छा पूरी नहीं करेंगे । हर समय गुस्सा नाक पर रखेंगे अथवा अपने ही घर के लोगों से दुर्व्यवहार करेंगे तो प्रभु भी आप से गुस्सा होते रहेंगे । आपकी कामयाबी आपसे दूर होती रहेगी । प्रभु आपको तभी कामयाबी प्रदान करेंगे, जब आप सही समय पर मुस्कुराना सीख जायेंगे । और जब प्रभु आपके साथ होंगे तो आपको कभी निराश नहीं होने देंगे। आप आत्महत्या जैसा निकृष्ट कार्य करने के बारे में तो कभी सोच भी नहीं पाएंगे। यदि आप यह समझ गए कि आपकी मुस्कराहट कितनी कीमती है और आपको कब-कब किसके सामने मुस्कुराना है तो कदम कदम पर आपको कामयाबी ही मिलेगी । लेकिन मुस्कराहट का यह रहस्य खोजना तो खुद आपको ही होगा, क्योंकि आपकी परिस्थितियों के बारे में कोई दूसरा आपसे बेहतर कैसे जान सकता है । इस बारे में किसी के कुछ बताने से आपको कोई ज्ञान नहीं होगा । इसलिए मुस्कराहट की शुरूआत अपनों के बीच मुस्कुरा कर रहने की आदत से डालिये। अपनों के साथ मुस्कुराइये, अपनों से मिलकर हँसिये खुद भी खुश होइये, उन्हें भी खुश कीजिये।
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