स्वयं को व्यस्त रखें।
करिश्मा अमीर घराने की लड़की थी ! भावुक बहुत थी ! पड़ोस में रहने वाले विजय से उसे इश्क़ हो गया ! विजय अकेला रहता था ! उसके माता-पिता हरियाणा में कहीं रहते थे
विजय काफी खूबसूरत था, किन्तु मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था ! करिश्मा अक्सर उसे महंगे-महंगे गिफ्ट भी देती रहती थी ! एक बार वह जब विजय से मिलने उसके कमरे पर गयी, भावना में बह गयी और उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो गए ! एक बार झिझक क्या खुली, दोनों जब भी अवसर मिलता बार-बार शारीरिक सम्बन्ध बनाने लगे !
करिश्मा को कई बार गर्भनिरोधक गोलियाँ भी इस्तेमाल करनी पड़ीं !
2001 मार्च महीने में विजय करिश्मा से मिला तो उसने बताया कि अगले हफ्ते वह गांव जा रहा है ! बहन की शादी है ! सारा काम उसी को सम्भालना होगा ! अब की बार वह अपने माता-पिता से उसके बारे में बात करके ही लौटेगा ! पर इस बार एक महीना लग जाएगा ! महीने का किराया फालतू में क्या देना ? इसलिए वह कमरा भी छोड़ कर जा रहा है ! लौटकर फिर से किराए पर कोई कमरा ले लेगा !
उस हफ्ते करिश्मा विजय से लिपट कर न जाने कितनी बार रोई ! हर बार विजय ने उसे विश्वास दिलाया कि वह भी इतने दिन तक उस से दूर रहने के ख्याल से ही दुखी है और वह जल्दी से जल्दी वापस आने की कोशिश करेगा !
उस पूरे हफ्ते - हर रोज़, उन दोनों ने एक से ज्यादा बार शारीरिक सम्बन्ध भी बनाये !
आखिर विजय चला गया !
फिर एक महीना भी बीत गया ! विजय नहीं आया ! तभी करिश्मा को पता चला कि उसे दिन चढ़ गए हैं ! उसे दहशत सी हुई ! विजय के गाँव जाने से पहले उन्होंने जो एक हफ्ता बिताया था, उस समय वह प्रीकॉशन नहीं रख सकी थी ! उसने अपनी एक सहेली के साथ जाकर टेस्ट कराये तो रिपोर्ट पॉजिटिव निकली !
करिश्मा के पाँव तले जमीन निकल गयी ! वह प्रेगनेन्ट थी !
वह विजय के बारे में पता करने उसके ऑफिस पहुँची और विजय के साथ ही काम करने वाले सूरज सिंह से मिली, जिस से एक-दो बार पहले भी वह विजय के साथ मिल चुकी थी !
सूरज सिंह ने बताया कि विजय को मुम्बई में जॉब मिल गयी थी और फिर उसकी शादी भी थी, इसलिए वह हमेशा के लिए जॉब छोड़ गया है ! वह अब कभी नहीं आएगा !
करिश्मा को यह जान कर जबरदस्त धक्का लगा कि शादी विजय की थी - विजय की बहन की नहीं ! सूरज सिंह से ही करिश्मा को पता चला कि विजय की तो कोई बहन है ही नहीं !
मतलब विजय ने उसे धोखा दिया था ! वह शुरू से उसे धोखा देता आ रहा था और वह धोखा खाती आ रही थी !
गलती करिश्मा की भी थी ! जैसा फिल्मों में दिखाते हैं कि एक नज़र देखा और प्यार हो गया, वैसी ही मूर्खता की थी उस ने ! विजय की खूबसूरती देखी और उसके बारे में कुछ भी जाने बिना उसकी दीवानी हो गयी ! विजय तो उसके साथ टाइम पास कर रहा था ! मज़े लूट रहा था ! उसे बेवकूफ बना कर उससे महंगे-महंगे गिफ्ट हासिल कर रहा था ! विजय के लिए वह एक ऐसी मुर्गी थी, जिसका तन-मन और धन सब कुछ हलाल कर रहा था वह !
विजय की हकीकत जानते ही करिश्मा बुरी तरह टूट गयी ! उसकी मम्मी दमे की मरीज थीं ! उन्हें शूगर और बीपी की प्रॉब्लम भी थी ! पापा हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे ! रोज़ बीपी की गोलियाँ खाते थे ! दो छोटे भाई थे ! एक नवीं क्लास में था, एक सातवीं में ! बड़ी वही थी ! कॉलेज में पहला ही साल था ! और वह प्रेगनेन्ट थी ! अभी पहला ही महीना था ! पर यह बात ज्यादा दिन तक नहीं छुपती !
करिश्मा ने रास्ते में केमिस्ट से मच्छर मारने की एक दवा खरीदी, जिसे पीकर आत्महत्या की जा सकती थी ! उसने निश्चय किया कि रात को वह दवा पीकर सो जाएगी और सुबह तक जरूर भगवान् को प्यारी हो जाएगी ! उन दिनों मोबाइल का इस्तेमाल आज जैसा नहीं था !
टूटी-हारी-बिखरी करिश्मा आत्महत्या करके इस दुनिया को छोड़ देने का पक्का इरादा कर, घर पहुँची ही थी कि छोटे भाई ने बताया - दीदी, पापा को हार्ट अटैक आया है ! उन्हें ऑफिस के लोग हॉस्पिटल ले गए हैं !
मम्मी बीमार थीं ! कहीं आने-जाने में असमर्थ थीं !
करिश्मा छोटे भाई के साथ हॉस्पिटल पहुँची ! वहां उसकी मुलाक़ात डॉक्टर सुबोध से हुई !
पिछली बार करिश्मा की मम्मी को जब दमे का अटैक हुआ था, तब डॉक्टर सुबोध ने ही मम्मी का इलाज़ किया था ! पर तब डॉक्टर सुबोध करिश्मा को बिलकुल भी अच्छे नहीं लगे थे, क्योंकि यंग और स्मार्ट डॉक्टर सुबोध बार-बार उसे पसन्द करने वाली नज़रों से देख रहे थे ! पर करिश्मा की बेरुखी देख डॉक्टर सुबोध ने उस से मुँह फेर लिया था !
इस बार डॉक्टर सुबोध ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई ! करिश्मा ने ही बात शुरू की !
"डॉक्टर साहब ! कैसी तबियत है मेरे पापा की ?"
"अंडर कण्ट्रोल ! चिन्ता की कोई बात नहीं है ! पर एक हफ्ते हम उन्हें यहीं रखेंगे ! फिर अगले तीन महीने उन्हें कम्पलीट बेड रेस्ट करना होगा ! आप यंग हैं ! पढी-लिखी हैं ! आपको उन्हें ऑफिस जाने से भी रोकना होगा ! चाहे ऑफिस का काम आपको सम्भालना पड़े !"
अगले तीन दिन करिश्मा हॉस्पिटल में रही ! बस, फ्रेश होने के लिए थोड़ी देर के लिए घर जाना पड़ता था ! उसकी गैरमौजूदगी में डॉक्टर डॉक्टर सुबोध ने उसके पापा का पूरा ख्याल रखा ! तीन दिनों में करिश्मा डॉक्टर सुबोध के साथ काफी फ्रैंक हो गयी ! चौथे दिन पापा की तबियत काफी सम्भल गयी थी ! पापा ने खुद ही उससे कह दिया कि वह घर जाए और मम्मी का ख्याल रखे ! और पापा ने ऑफिस के भी कई काम उसे समझाये और कहा कि अब कुछ दिनों तक उसे ही ऑफिस का काम देखना होगा !
तीन दिनों में करिश्मा डॉक्टर सुबोध के साथ काफी फ्रैंक हो गयी ! चौथे दिन पापा की तबियत काफी सम्भल गयी थी ! पापा ने खुद ही उससे कह दिया कि वह घर जाए और मम्मी का ख्याल रखे ! और पापा ने ऑफिस के भी कई काम उसे समझाये और कहा कि अब कुछ दिनों तक उसे ही ऑफिस का काम देखना होगा !
पापा के रूम से वह बाहर निकली ही थी कि कॉरिडोर में डॉक्टर सुबोध दिख गये !
"डॉक्टर !" करिश्मा डॉक्टर सुबोध के पास पहुँच धीरे से बोली ! पिछले तीन दिन से जो बात उसे परेशान कर रही थी, उसने डॉक्टर सुबोध से शेयर करने का निश्चय किया और बोली - "मुझे आपकी मदद की जरूरत है !"
"कहिये !"
आगे पढ़ें : - Page No.2