जब मन दुखी हो, डायरी लिखें ! गिरधर एक निम्नवर्गीय परिवार में पैदा हुआ था ! पिता कारपेन्टर थे ! माँ काम वाली बाई थी ! लोगों के घरों में काम करती थी ! कुछ तो बचपन में पोलियो के अटैक के कारण और कुछ बचपन में ही एक एक्सीडेन्ट के कारण उसका चेहरा कुरूप हो गया था और वह लंगड़ा कर भी चलता था ! स्कूल में कोई उसका दोस्त नहीं था ! लड़के उसका मज़ाक उड़ाते थे ! कोई उसे लंगड़ा कहता तो कोई भालू कह कर चिढ़ाता ! कोई बन्दर तो कोई भूत कहकर उसे तंग करता ! एक दिन स्कूल से घर आकर गिरधर खूब रोया ! माँ से बोला - कल से मैं स्कूल नहीं जाऊंगा ! "ठीक है ! मत जाना ! चल, खाना खा ले !" माँ ने कहा ! खाना खाकर गिरधर माँ से बोला - "माँ मैं थोड़ी देर खेलने जाऊं ?" गली के बच्चे बचपन से देखते और उसके साथ खेलते आ रहे थे, इसलिए उन में से कोई उसे नहीं चिढ़ाता था ! पर उस दिन माँ ने उसे खेलने जाने की परमिशन नहीं दी ! बोली - नहीं, आज तू मेरे साथ चल ! हम दोनों बर्तन मांजेंगे ! मैं तुझे अच्छे से बर्तन मांजना - फिर झाडू लगाना, पोंछा लगाना, सब सिखाऊँगी !" "पर माँ, मुझे यह सब नहीं सीखना !" गिरधर ने कहा ! "सीखना तो पड़ेगा ! कल से स्कूल नहीं जाएगा तो बड़ा होकर क्या करेगा ? कोई अच्छी नौकरी तो मिलेगी नहीं ! तब किसी होटल या रेस्टोरेन्ट में वेटर की या बर्तन साफ़ करने की नौकरी करनी पड़ेगी ! झाडू -पोंछा भी लगाना पड़ सकता है ! सब कुछ अभी सीख लेगा तो परेशानी नहीं होगी ! चल, मेरे साथ ! बर्तन साफ़ करना सिखाती हूँ ! फिर झाडू पोंछा भी सिखाऊंगी !” गिरधर पशोपेश में पड़ गया ! बोला - "मम्मी, मुझे यह सब नहीं करना है !" "तो फिर पढ़ना ही पड़ेगा और पढ़ने के लिए स्कूल भी जाना पड़ेगा !" "पर मम्मी, सब लड़के मुझे बहुत चिढ़ाते हैं !" गिरधर ने कहा ! "चिढ़ाते हैं तो क्या हुआ, तू क्यों चिढ़ता है ?" माँ ने कहा ! "तो मैं क्या करूँ ? मुझे बहुत बुरा लगता है ! गुस्सा ही बहुत आता है !" " तू तो पागल है ! तू किसी की बात पर ध्यान ही क्यों देता है ? कोई कुछ भी कहे तू किसी की भी बात पर ध्यान ही ना दिया कर !" " पर माँ मुझे उनकी बात सुनाई देती है तो गुस्सा आता है !" "फिर तू दो बातें अच्छी तरह सोच ले ! अगर तुझे बड़ा होकर होटलों में बर्तन साफ़ नहीं करने तो या तो तू उनकी बातें सुनना बन्द कर दे, उनकी बातों पर ध्यान देना बन्द कर दे ! या फिर जब भी वे सब कोई बात करें - तुझे कुछ उलटा -सीधा कहें तो तू उन्हें देख कर मुस्कुरा दिया कर !" माँ ने समझाया ! माँ के समझाने पर गिरधर समझ गया ! अगले दिन उस ने वैसा ही किया, जैसा उसकी माँ ने कहा था ! घर लौटने पर वह बहुत खुश था ! उसने माँ को बताया कि उसे चिढाने वाले लड़के उसे मुस्कुराता देख कर बहुत परेशान हो रहे थे ! तब माँ ने उसे एक डायरी दी और कहा - "अब....आज दिन भर स्कूल में तेरे साथ किसने क्या किया, सब कुछ तू इस डायरी में लिख और आज से रोज़ स्कूल से लौटने पर स्कूल में किस लड़के ने तेरे साथ कैसा व्यवहार किया, सब तू इस डायरी में लिखा करना !" "इस से क्या होगा मम्मी ?" गिरधर ने पूछा ! "इस डायरी में तू जो भी लिखे, उसे रोज़-रोज़ पढ़ना भी है ! इससे तुझे जल्दी ही समझ में आ जाएगा कि कौन-कौन लड़के तेरे दोस्त बन सकते हैं ! फिर तुझे अपना स्कूल और क्लास बहुत अच्छे लगने लगेंगे !" गिरधर ने वैसा ही किया, जैसा उसकी माँ ने बताया था ! और आप को ताज़्ज़ुब तो होगा, पर यह हकीकत है कि तीन महीने बाद लगभग सारी क्लास गिरधर की दोस्त थी ! यह तो हुई डायरी लिखने के चमत्कार की एक बात ! अब एक दूसरी बात हो जाए ! पारुल एक बहुत बड़े बिज़नसमैन की लड़की थी ! संदीप के साथ उसका रोमांस जोरों से चल रहा था ! पर एक दिन किसी बात पर झगड़ा हो गया और ब्रेकअप हो गया ! संदीप ने उस से कभी ना मिलने के लिए कह दिया ! फोन करने को भी मना कर दिया ! पारुल की तो जैसे जान ही निकल गयी ! उसे तो सुबह होते ही व्हाट्सएप्प पर संदीप से गुड मॉर्निंग और फिर चैटिंग करने की आदत थी ! फिर नहा धोकर तैयार होने के बाद उसका पहला काम संदीप को फोन करने का होता था ! उसके बाद दोनों रोज़ कोई नई जगह मिलने की तय करते और फिर रोज़ वह संदीप के साथ ही कॉलेज जाती थी ! पर संदीप ने कॉलेज में भी उसकी तरफ देखना तक बन्द कर दिया ! वह फोन करती तो वह फोन काट देता ! वह व्हाट्सएप्प पर मेसेज करती तो वह कोई रिप्लाई नहीं करता ! पारुल को सारी दुनिया बेरंग नज़र आने लगी ! संदीप के बिना जीने से तो बेहतर है मर जाना ! उसने सोचा ! पर अपनी यह बात उसने अपनी खास सहेली नीरजा से कह दी ! नीरजा ने उस से कहा - तू संदीप के बिना जी नहीं सकती ! मरना चाहती है ! ठीक है - मर जाना, लेकिन छह महीने बाद ! छह महीने तक तू भी संदीप से बात करने की कोई कोशिश मत कर ! बस, आज से तू डायरी लिखना शुरू कर दे ! "डायरी ! उस से क्या होगा ?" पारुल ने पूछा ! " यह मत पूछ ! बस डायरी लिखना शुरू कर दे ! और रोज़ संदीप को देख, उसकी हरकतों को देख, तेरे मन में जो भी विचार आते हों - डायरी में लिख ! छह महीने बाद डायरी में लिखा सारा मैटर हम दोनों एक साथ पढ़ेंगे ! फिर अगर तुझे मरना भी हुआ तो मैं तुझे नहीं रोकूंगी ! पर इन छह महीनों में तू संदीप से मिलने या बात करने की कोई कोशिश नहीं करेगी ! कसम खा !" पारुल ने मरने का प्रोग्राम छह महीने के लिए कैंसिल कर दिया ! खास बात यह रही कि छह महीने से पहले ही पारुल की दोस्ती सौरभ से हो गयी और उसे संदीप में अवगुण ही अवगुण नज़र आने लगे ! तो दोस्तों, जब भी आपका मन दुखी हो - डायरी लिखना शुरू कर दीजिये और अगर आप मरने की प्लानिंग कर रहे हों तो काम से काम छह महीने के लिए इरादा मुल्तवी कर दीजिये ! यानि कि इरादा स्थगित कर दीजिये ! अगर छह महीने बाद भी आपका मरने का इरादा ना बदले तो खुद को एक चांस और दीजिये - इस बार कम से कम एक साल का ! हमें विश्वास है कि एक साल में आपको ज़िन्दगी के और भी बेहतरीन खूबसूरत रंग नज़र आने लगेंगे ! इसलिए जब भी मन दुखी हो, डायरी लिखें ! मरने का ख्याल दिल में आये भी तो उसे साल-दो साल के लिए स्थगित कर दीजिये ! यही हमारी आपसे इल्तज़ा है, विनती है, प्रार्थना है !