अपने प्रिय भगवान् या इन्सान को अपना दोस्त बनाएँ ! आज के ज़माने में कृष्ण-सुदामा जैसी दोस्ती की कल्पना कहानी-किस्सों तक रह गयी है ! आज हर व्यक्ति के दोस्तों की संख्या पांच-दस को भी लाँघ गयी है ! बल्कि सोशल मीडिया ने दोस्तों की संख्या हज़ारों में पहुँचा दी है ! लेकिन दोस्ती का पता सदैव मुसीबत में ही चलता है ! आज की ज़िन्दगी में लोगों के दोस्त पल-पल बदलते रहते हैं ! ऐसा बहुत कम देखा गया है कि कोई दो शख्स बचपन से लेकर बुढ़ापे तक दोस्ती निभा ले जाएँ ! शुरूआत - मैं अपने आप से करता हूँ - बचपन में प्राइमरी क्लास में अर्जुन और सीताराम मेरे दोस्त थे ! फिर कोलकाता के डीडू माहेश्वरी पंचायत विद्यालय में बिनोद कुमार बियानी, किशोर कुमार गुप्ता, महेश कुमार दुबे, दिलीप कुमार मेहरा, रमाशंकर जायसवाल, शंकर लाल हर्ष, प्रमोद कुमार सरावगी मेरे घनिष्ठ मित्र रहे, पर आज मैं उनमे से किसी के घर का पता नहीं जानता ! उसके बाद मैं दिल्ली आ गया ! तब बिमल चटर्जी, अशीत चटर्जी, कुमारप्रिय से गहरा नाता रहा ! फिर कुछ समय मेरठ के वेद प्रकाश शर्मा, रितुराज (सुरेश चंद जैन), राकेश जैन और सतीश जैन के साथ लंबे समय तक घनिष्ठता रही ! लेकिन सबसे ज्यादा लम्बी और सुख-दुःख में एक दूसरे का साथ देने वाली दोस्ती स्वर्गीय यश पाल वालिया और स्वर्गीय राज भारती के साथ रही ! कहने का मतलब है - आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में कोई दोस्ती स्थायी नहीं है ! एक बच्चे के मम्मी-पापा उसका स्कूल चेंज करवा रहे थे ! बच्चा फफक कर रो रहा था कि मैं नए स्कूल में नहीं जाऊंगा ! मेरे सारे दोस्त तो यहीं हैं ! तब उसके पापा ने उसे बड़े अच्छे से समझाया कि बेटा Make new friends But keep the old One is silver One is Gold बच्चा पापा की अंग्रेजी में कही इस बात का मतलब नहीं समझा तो पापा ने हिन्दी में समझाया कि बेटा, आप छुट्टी वाले दिन इस स्कूल के दोस्तों से मिलते रहना ! और दूसरे स्कूल में नये-नये दोस्त बनाना ! फिर आपके बहुत सारे दोस्त हो जाएंगे ! सब आपको लाइक करेंगे ! बच्चे की समझ में बात आ गयी ! उसने दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया ! नये स्कूल में भी उसके बहुत सारे दोस्त बन गए और वह खुश रहने लगा ! अक्सर वह अपने पापा को बताता कि इस स्कूल के दोस्त पहले से भी अच्छे हैं ! बच्चा समझदार था ! दोस्ती के मामले में बड़े लोग अक्सर नासमझी दिखाते हैं ! बच्चों की दोस्ती निस्वार्थ होती है ! लेकिन बड़े होने पर दोस्ती में अपने-अपने स्वार्थ भी शामिल हो जाते हैं ! आप जब भी किसी मुसीबत में होते हैं - अपने दोस्त से आप सहायता की उम्मीद रखते हैं, किन्तु आपका दोस्त आपकी मदद करने की स्थिति में नहीं होता और उसकी स्थिति जाने बिना आप उस से नाराज़ हो जाते हैं ! जब आप किसी को दोस्त बनाते हैं तो उसके बारे में आपको सब कुछ पता होना चाहिए ! दोस्ती निस्वार्थ होनी चाहिए ! एक-दूसरे के सुख-दुःख बाँटने वाली दोस्ती होनी चाहिए ! दोस्ती की सबसे ज्यादा जरूरत किशोरावस्था से नवयौवन की और बढ़ती उम्र में होती है ! पढ़ाई का मसला हो या प्रेम का ! एक दोस्त से आप मन की हर बात कह सकते हैं ! जब कोई बात दिल को परेशान कर रही हो तो वह बात किसी से कहकर दिल का बोझ हल्का किया जा सकता है ! यदि बच्चे माँ-बाप से खुलकर बात कर लेते हों तो उनसे बढ़िया दोस्त कोई दूसरा नहीं हो सकता ! किन्तु बढ़ती उम्र के बच्चे अपनी हर बात माँ-बाप से करते हुए हिचकिचाते हैं ! ऐसे में उन्हें भगवान् से दोस्ती कर लेनी चाहिए ! अपने मन की हर बात - अपने प्रिय भगवान् की मूर्ति या तस्वीर के सामने कह कर दिल का बोझ हल्का किया जा सकता है ! मूर्ति अथवा तस्वीर आपको कोई सलाह तो नहीं देगी, लेकिन मन की दुविधा को ख़त्म कर आपके सोचने-समझने की शक्ति अवश्य बढ़ा देगी ! आप अपनी हर परेशानी पर खुद-ब-खुद निर्णय ले सकते हैं ! बस, दिल में एक भरोसा होना चाहिए कि भगवान् आपके साथ हैं ! बनारस के भोजूबीर क्षेत्र में रहने वाली कविता के पिता की दो साल पहले मृत्यु हो गयी थी ! माँ दस साल पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी थी ! कविता की माँ के मरने के छह महीने बाद ही उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी ! सौतेली माँ ने शुरू से ही कविता को बहुत परेशान किया ! अब पिता के मरने के बाद तो उसकी ज्यादतियां और भी बढ़ गयीं ! पिता के जीवित रहते कविता ने B.A. कर लिया था ! तभी कुछ बच्चों को घर पर ही ट्यूशन पढ़ाने लगी थी ! अपनी पढ़ाई का खर्च वह खुद उठाने लगी थी ! पर पिता का साया सिर से उठते ही सौतेली माँ ने किस्से-कहानियों वाली बुरी सौतेली माँ वाला रूप अख्तियार कर लिया ! कविता पर हाथ तो वह पहले भी जब-तब उठा दिया करती थी, पर अब उसके अत्याचार कुछ ज्यादा ही बढ़ गए ! ट्यूशन पढ़ाकर कविता जो कमाती, सौतेली माँ घर खर्च के नाम पर उस से छीन लेती और घर के सारे काम उसी से करवाती और किसी काम में ज़रा सी देर होने पर कपडे धोने वाली थापी से उसे कूटा करती थी ! एक सौतेली छोटी बहन थी ! कभी-कभी कविता का पक्ष लेकर वह माँ से लड़ने लगती तो माँ उसे भी धून देती ! दुखी होकर कविता ने एक दिन आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया ! 'रोज़-रोज़ बिना बात पिटने से तो अच्छा है, जान देकर हमेशा के लिए सौतेली माँ की मार से छुट्टी पा ली जाए !' उसने सोचा ! मरने के लिए जो तरीका उसने सोचा - वह था रेल की पटरियों पर लेट - कट कर मर जाने का ! और फिर वह निकल पड़ी, पर रास्ते में उसे कौशल्या दिख गयी ! कौशल्या से कविता की गहरी दोस्ती थी ! कौशल्या भोजूबीर इलाके में ही बहुत से घरों में बर्तन माँजने का काम करती थी ! कविता की सगी माँ जब ज़िन्दा थीं, तब वह कविता के साथ खेलने , उसके घर भी आती रहती थी ! तभी से उसे कविता से गहरा लगाव था ! उसने कविता को परेशान और दुखी जल्दी-जल्दी कहीं जाते देखा तो उसे रोक लिया और खोद-खोद कर उस से सवाल पूछने लगी ! आखिर कौशल्या के आगे कविता के दुःख का बाँध टूट पड़ा ! रोते-रोते उस ने बता दिया कि वह रेल से कट कर मरने जा रही है ! कौशल्या ने कविता को समझाया की तू तो भगवान् कृष्ण की भक्तिन है ! एक दिन वो तेरी खैर-खबर जरूर लेंगे !तू हिम्मत ना हार ! भगवान् कृष्ण जरूर तेरा साथ देंगे ! कविता भगवान् कृष्ण की बड़ी भक्त थी ! कौशल्या के समझाने-बुझाने से कविता ने कट कर मरने का इरादा त्याग दिया ! इसके बाद जो कुछ भी हुआ - बड़ी तेजी से हुआ ! कौशल्या जिन घरों में काम करती थी, उनमे एक घर गोमती देवी का भी था ! गोमती देवी कविता की सगी माँ की बहुत अच्छी सहेली थीं ! कौशल्या ने कविता की हालत के बारे में उन्हें बताया तो उन्होंने आनन-फानन में एक फैसला कर लिया ! उन्होंने अपने इकलौते बेटे की शादी कविता से करवाने का निश्चय किया ! गोमती देवी पहुँच गयीं - कविता की सौतेली माँ के पास ! कविता की सौतेली माँ ने पहले तो बड़ी ना-नुकुर की ! किन्तु गोमती देवी ने अपने देवर से कहकर कविता को प्रताड़ित करने के जुर्म में जेल भिजवाने की धमकी दी तो कविता की सौतेली माँ शादी के लिए मान गयी ! गोमतीदेवी का देवर वहीं पुलिस में कांस्टेबल था ! आखिर कविता की शादी गोमतीदेवी के इंजीनियर बेटे के साथ हो गयी ! आजकल वह अपने पति के साथ अमेरिका के किसी शहर में है और तीन-तीन बेटों की माँ बन चुकी है ! तो देखा आपने, मामूली बर्तन माँजने वाली के साथ कविता की दोस्ती ने ना केवल उस की जान बचा ली, बल्कि आज वह जो जीवन जी रही है, बहुतों को उस से ईर्ष्या भी हो सकती है !