स्वयं को व्यस्त रखें।

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करिश्मा वहीं कॉरिडोर में बात करने में हिचकिचाई तो डॉक्टर सुबोध उसे डॉक्टर्स रूम में ले गये ! रूम में और कोई डॉक्टर नहीं था ! डॉक्टर सुबोध ने करिश्मा को बैठने को कहा ! स्वयं भी सामने की चेयर पर बैठ गये और बोले- "अब कहो, क्या बात है ?" करिश्मा एक झटके से सारी बात बोल गयी- "मैं प्रेग्नेंट हूँ और एबॉर्शन करवाना चाहती हूँ !"

"वही, तुम्हारा बॉयफ्रेंड विजय रिस्पोन्सिबिल है ?" डॉक्टर सुबोध ने पूछा !

"आपको कैसे पता ?" करिश्मा चौंक कर बोली !

" करिश्मा, जब हम किसी को पसन्द करते हैं तो उसके बारे में सब कुछ जान लेना - पता कर लेना, बहुत जरूरी होता है ! पिछली बार अपनी मम्मी के साथ जब तुम आई थीं, तब तुम मुझे बहुत अच्छी लगी थीं ! मैं तुम्हें पसन्द करने लगा था, लेकिन जब तुम्हारे बारे में अपने एक दोस्त से पता करवाया तो मालूम हुआ - तुम्हारा विजय के साथ गहरा अफेयर है तो मैंने पीछे हट जाना ही ठीक समझा ! खैर तुम बताओ, दिन चढ़े कितने दिन हो गये ? विजय कहाँ है ?" करिश्मा रोने लगी !

"खुद को सम्भालो, प्लीज ! यह हॉस्पिटल है ! और मुझे सारी बात बताओ ! तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो !" डॉक्टर सुबोध ने कहा ! करिश्मा ने विजय से प्रेम होने, फिर मिलने-जुलने शारीरिक सम्बन्ध बनने और फिर पिछले महीने, विजय के धोखा देकर भाग जाने और खुद आत्महत्या करने के लिए तैयार होने की सारी बात डॉक्टर सुबोध को बता दी ! फिर बोली- " मैं चाहती हूँ, मेरे मम्मी-पापा को पता न चले, वरना मैं जीते जी मर जाऊंगी !" "करिश्मा, तुमने पहली गलती तो यह की कि अपने अफेयर के बारे में अपने मम्मी-पापा को कुछ नहीं बताया और दूसरी गलती यह कर रही हो कि अब भी सब कुछ उनसे छुपाना चाहती हो ! फिर भी तुम्हारे मम्मी-पापा की कन्डीशन को देखते हुए तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ, पर मेरी तीन शर्तें हैं !" डॉक्टर सुबोध ने कहा ! "मुझे आपकी हर शर्त मंज़ूर है !" करिश्मा ने तुरन्त कहा !

"वो दवा कहाँ है - जिसे खाकर तुमने मारने का, आई मीन आत्महत्या करने का प्लान बना रखा था !"

करिश्मा ने अपना बैग खोला ! दवा निकाली और डॉक्टर सुबोध के हवाले कर दी ! डॉक्टर सुबोध ने शीशी तोड़कर डस्ट बिन में फेंक दी ! फिर करिश्मा पर नज़र गड़ाते हुए कहा - "शर्त बताने से पहले एक बात और समझाना चाहूँगा, वह कि कभी किसी पर बहुत जल्दी भरोसा न करो ! तब तक भरोसा न करो, जब तक तुम उसे और उसके परिवार को अच्छी तरह ना जानने लगो ! पहले तुमने विजय पर भरोसा किया ! अब मुझ पर कर रही हो, जबकि तुम मुझे अच्छी तरह जानती भी नहीं हो ! बाई चांस, मैं उस तरह का शख्स नहीं हूँ, जो किसी की मजबूरी का फायदा उठाते हैं ! पर मैं वैसा शख्स होता तो तुम्हारी मुसीबतें दुगुनी हो सकतीं थी !"

उसके बात डॉक्टर सुबोध ने करिश्मा से कहा - "मेरी पहली शर्त यह है कि तुम आत्महत्या की बात कभी भी अपने दिल में नहीं लाओगी ! दूसरी शर्त यह है कि तुम अपने पापा-मम्मी का पूरा ख्याल रखोगी ! पापा के बिज़नेस को भी ठीक से हैण्डिल करोगी ! और स्वयं को व्यस्त रखना ! प्रॉमिस करो कि खुद को ज्यादा से ज्यादा बिजी रखोगी ! किसी से इश्क़ करने के बारे में अभी तीन साल तक सोचोगी भी नहीं ! और तीसरी शर्त यह है कि अपनी पढ़ाई बन्द नहीं करोगी ! ग्रेजुएट होने के बाद आगे भी पढ़ाई जारी रखोगी !" करिश्मा ने तीनों शर्तें कबूल कर लीं तो डॉक्टर सुबोध ने कहा - "तुम्हें अभी इतने ज्यादा दिन नहीं चढ़े हैं कि परेशानी हो ! दवाओं से ही सब ठीक हो जाएगा ! थोड़ी कमजोरी महसूस हो सकती है ! पर तुम एक बहादुर लड़की हो ! मुझे यकीन है - तुम खुद को सम्भाल लोगी !"

डॉक्टर सुबोध ने करिश्मा को दवाएं दे दीं और यह भी बता दिया कि कितने दिन तक, कैसे-कैसे खानी है !

फिर जब करिश्मा उठकर चलने लगी तो डॉक्टर सुबोध ने उससे कहा - "आख़िरी एक बात और कहनी है ! शर्त यह है कि ना तो तुम बुरा मानोगी, ना ही नाराज़ होवोगी !" "क्या ?" करिश्मा ने पूछा तो डॉक्टर सुबोध मुस्कुराये -"मैं अब भी तुम्हें पसन्द करता हूँ और तुम्हीं से शादी करना चाहता हूँ ! बशर्ते तीन साल तक तुम मेरा इन्तज़ार कर सको !"

"तीन साल !" करिश्मा चौंकी ! "हाँ, अगले महीने तीन साल के लिए मैं इंग्लैण्ड जा रहा हूँ ! शादी लौट कर ही करूंगा !"

कहानी का आगे का संक्षिप्त सार यह है कि करिश्मा को दो- तीन महीने थोड़ी कमजोरी महसूस हुई ! फिर वह जल्दी ही पहले जैसी हो गयी ! पापा के साथ वह नियमित रूप से ऑफिस जाने लगी और पढ़ाई भी उसने जारी रखी ! ग्रेजुएशन के बाद MBA की पढ़ाई शुरू कर दी !

एक दिन सुबह-सुबह उठ कर पापा के लिए बेड टी बनाने के लिए किचेन में जा ही रही थी की डोर बेल बजी !

इतनी सुबह-सुबह कौन आ गया ! करिश्मा ने सोचा ! दरवाजा खोला तो डॉक्टर सुबोध सामने था !

" अभी तक सिंगल हो ?" डॉक्टर सुबोध का पहला सवाल था ! "हाँ !" करिश्मा शरमाकर मुस्कुराई ! "किसी और से इश्क़ तो नहीं किया ?"

"नहीं !" करिश्मा फिर मुस्कुराई !

"इसका मतलब मेरे लिए चांस है ?" इस बार करिश्मा ने प्यार से डॉक्टर सुबोध के कंधे पर हाथ मारा - "अन्दर चलो !" "इतने दिन कैसे बिताये ?" डॉक्टर सुबोध ने पूछा !

"तुम्हीं ने तो कहा था - खुद को बिजी रखना ! स्वयं को व्यस्त रखना ! तो मैंने अपनी लाइफ को इतना बिजी कर लिया की फिजूल की कोई बात कभी दिल में आने के लिए भी टाइम नहीं था !" "मुझे याद नहीं किया ?"

"किया ?" "कब ?" "जब खाली होती थी, कोई काम नहीं होता था ! तुम्हीं ने तो कहा था स्वयं को व्यस्त रखना ! तो... खाली दिमाग शैतान का घर होता है, इसलिए जब मैं खाली होती थी, खुद को आपको याद करने में व्यस्त लेती थी !"

तभी करिश्मा को पापा की आवाज़ सुनाई दी-"करिश्मा बेटे, कौन आया है ?" "डॉक्टर सुबोध आये हैं पापा !" करिश्मा ने कहा !

"आज मैं आया हूँ, कल अपने मम्मी -पापा को भेजूंगा !" डॉक्टर सुबोध ने धीरे से कान में कहा - "पहले तुम्हारे मम्मी-पापा को तो तैयार कर लूँ !" यह कहानी तो आपने पढ़ ली ! लेकिन कुछ समझ में भी आया ?

पहली बात तो यह की अजनबियों से घनिष्ठता नहीं बढ़ानी चाहिए ! दूसरी यह कि स्वयं को अधिक से अधिक व्यस्त रखना चाहिए ! कभी आप में से किसी के भी दिमाग में आत्महत्या जैसी कोई खुराफात आये तो उसे टाल दीजिये और खुद को अधिक से अधिक व्यस्त कर लीजिये ! स्वयं को अधिक से अधिक व्यस्त रखना चाहिए ! कभी आप में से किसी के भी दिमाग में आत्महत्या जैसी कोई खुराफात आये तो उसे टाल दीजिये और खुद को अधिक से अधिक व्यस्त कर लीजिये !

एक बात और - दुनिया में हर तरह के इन्सान होते हैं ! एक विजय था, जिसने करिश्मा के साथ शादी के वायदे किये और उसका सब कुछ लूट लिया ! एक डॉक्टर सुबोध - जिसने करिश्मा को हाथ भी नहीं लगाया और तीन साल बाद भारत लौटते ही उसे अपना बनाने पहुँच गया ! लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप सब डॉक्टर सुबोध की यह बात याद रखें कि कभी किसी पर बहुत जल्दी भरोसा न करो ! तब तक भरोसा न करो, जब तक तुम उसे और उसके परिवार को अच्छी तरह ना जानने लगो !

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